इतिहास के पन्नों में हर judge अपनी छाप छोड़ता है। कुछ judges के फैसले तुरंत प्रभाव डालते हैं, जनता और legal scholars का ध्यान आकर्षित करते हैं, जबकि दूसरों की legacy धीरे-धीरे खुलती है, जैसे एक शांत धारा जो समय के साथ पत्थर को तराशती है। Chief Justice of India (CJI) DY चंद्रचूड़, अपने कार्यकाल के अंत में, एक ऐसे क्षण में खड़े हैं जहां वे सोच रहे हैं कि इतिहास उनके नाम को किस रूप में दर्ज करेगा।
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Bombay High Court के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, Justice RC Chavan ने CJI चंद्रचूड़ की legacy पर की गई हालिया टिप्पणियों पर चिंता व्यक्त की। Vidhi Centre for Legal Policy द्वारा आयोजित एक discussion में, Justice Chavan ने इसे “unbecoming” कहा कि इतने बड़े पद पर रहते हुए एक judge अपनी legacy को लेकर चिंतित हो। उनके अनुसार, judges को justice के प्रति fearless और impartial रहना चाहिए, चाहे वह popular opinion से मेल खाए या नहीं। Chavan ने कहा, “न्याय का काम जनता की राय के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए,” और justice का अर्थ साहस है—यह साहस कि जो uncomfortable truths हैं, उन्हें भी बिना किसी दबाव के सामने रखा जाए।
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इस panel में अन्य notable voices भी शामिल थे: Senior Advocate Raju Ramachandran, Vidhi के founder Arghya Sengupta और human rights lawyer Maja Daruwala। Ramachandran ने चंद्रचूड़ की judgment writing skill की सराहना की, विशेष रूप से उनकी clarity और structure की, जो उन्हें Supreme Court के finest judges में से एक बनाते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सभी legacies की तरह, इस legacy में भी contradictions हैं। उन्होंने Ayodhya case में CJI की भूमिका को “baffling” कहा, जो judges की legacy के complex nature को दर्शाता है—महान judges के निर्णयों पर भी सवाल उठते हैं।
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Justice Chavan ने इस बात पर भी चर्चा की कि कैसे चंद्रचूड़ के शुरुआती career में उन पर high expectations का pressure था, खासकर Bombay High Court में, जहां उन्हें भविष्य के CJI के रूप में देखा गया। यह pressure उनकी judicial caution का कारण हो सकता है, खासकर socially sensitive issues में। लेकिन Supreme Court में पहुंचने के बाद उनके decisions, जैसे कि privacy और LGBTQ rights पर, India के social landscape को shape करने में milestones साबित हुए।
Justice Chavan ने चंद्रचूड़ की अंतिम वर्षों की judicial activism की तुलना cricket के अंतिम overs से की, जहां batter तेजी से रन बनाने की कोशिश करता है लेकिन कभी-कभी अधूरे goals छोड़ जाता है। Chavan ने कहा कि चंद्रचूड़ ने judicial reforms के लिए बहुत प्रयास किए, लेकिन Indian judiciary की complexities के चलते कुछ goals को पूरा करना कठिन रहा।
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Maja Daruwala ने चंद्रचूड़ के कार्यकाल के practical impacts पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “ground पर ज्यादा बदलाव नहीं दिखा,” यह दर्शाते हुए कि judicial reforms की high ideals और realities के बीच balance बनाना हमेशा challenging होता है। Arghya Sengupta ने चंद्रचूड़ की legacy पर optimistic दृष्टिकोण रखा, यह कहते हुए कि भविष्य में उनकी legacy को अधिक positive रूप में देखा जाएगा, भले ही कुछ decisions ने initial disappointment पैदा की हो।
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जैसे-जैसे CJI चंद्रचूड़ का tenure समाप्त होता है, उनके life और judicial journey का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है। उनका कार्यकाल हमें यह याद दिलाता है कि एक judge, और अंततः हम सब, public opinion के प्रभावों के बावजूद अपने purpose के प्रति clarity और honesty बनाए रखने के लिए struggle करते हैं। यही struggle उनकी legacy को विचारणीय बनाता है, जो Indian legal history के ताने-बाने में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाएगी।
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