डॉलर की मजबूती और विदेशी निवेशकों द्वारा इक्विटी बाजारों में भारी बिक्री के कारण, भारतीय रुपया 84.37 के नए निचले स्तर पर बंद हुआ।
विशेषज्ञों का मानना है कि West Asia की स्थिति और Trump की नीतियों के चलते, रुपया और गिर सकता है। लेकिन हालात सुधरने पर यह 84.10 तक वापसी कर सकता है।
हालांकि रुपया कई अन्य एशियाई मुद्राओं से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, RBI के हस्तक्षेप से रुपये की अस्थिरता नियंत्रित की जा रही है।
रुपये की गिरावट से आयातकों पर दबाव बढ़ेगा, खासकर तेल और अन्य जरूरी वस्तुओं के आयात पर, जिससे महंगाई में बढ़ोतरी हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि Trump की आर्थिक नीतियों, जैसे प्रस्तावित टैरिफ और इमिग्रेशन प्रतिबंधों से डॉलर में और मजबूती आ सकती है, जो रुपये को और कमजोर करेगी।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भारी बिकवाली के कारण रुपये पर दबाव बढ़ा, जिससे इसका मूल्य अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरता जा रहा है।
Trump की जीत के बाद Dollar Assets को सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जा रहा है, जिससे निवेशक बड़ी मात्रा में डॉलर खरीद रहे हैं, और इसका सीधा असर रुपये की गिरावट पर पड़ा है।