देव दिवाली को 'देवताओं की दिवाली' कहा जाता है, जो दिवाली के 15 दिन बाद, कार्तिक पूर्णिमा की रात को मनाई जाती है

देव दिवाली 15 नवंबर को मनाई जाएगी, जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन पड़ती है

वाराणसी में देव दिवाली विशेष रूप से धूमधाम से मनाई जाती है। गंगा के घाटों पर हजारों दीप जलाए जाते हैं, और गंगा आरती का आयोजन होता है

भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध किया, जिससे देवताओं ने दीप जलाकर इस विजय का उत्सव मनाया

देव दिवाली पर दीप जलाना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है

वाराणसी में गंगा आरती में 24 पुजारी और युवा कन्याएँ भाग लेती हैं। दीपों की रोशनी, जलती मशालें, और आतिशबाजियाँ इस दिन के उत्सव को भव्य बनाते हैं

स दिन गंगा में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलने की मान्यता है। लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान कर दीप जलाते हैं